बरसों पहले केसर की एक छोटी सी पोटली हमारे छोटे से घर की रसोई में कई दिन और महीने तक अपनी खुशबू बिखेरती रही। लाल-कत्थई रंग की वह सुंदर सी पोटली हमारे लिए वरिष्ठ लेखिका पद्मा सचदेव लेकर आई थीं। यह क़रीब बीस-पच्चीस साल पुरानी बात है।
पद्मा सचदेव का जाना: केसर की वह खुशबू अब तक कायम है
- श्रद्धांजलि
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- 5 Aug, 2021


आज के सेल्फ़ी-समय में भी हम लोगों के पास इस दौर की बड़ी हस्तियों के साथ उतनी तसवीरें नहीं होंगी जितनी पद्मा सचदेव के पास तब हुआ करती थीं।
उनके पास एक पोटली और होती थी- संस्मरणों की पोटली। बल्कि यह पोटली नहीं पूरी दुनिया थी। उस दौर के भारत के सार्वजनिक जीवन के किस क्षेत्र में उनका परिचय नहीं था? वे नेताओं को जानती थीं, कलाकारों को जानती थीं, खिलाड़ियों को जानती थीं, संगीतकारों को जानती थीं- और अपने सहज स्वभाव से सबसे एक आत्मीय रिश्ता जोड़ लेती थीं।
आज के सेल्फ़ी-समय में भी हम लोगों के पास इस दौर की बड़ी हस्तियों के साथ उतनी तसवीरें नहीं होंगी जितनी पद्मा सचदेव के पास तब हुआ करती थीं। उनके पास किस्से भी तमाम हुआ करते थे। इंदिरा गांधी, लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन, शेख अब्दुल्ला- और ऐसी तमाम बड़ी हस्तियों के साथ उनके निजी संस्मरण थे।



























