लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही सत्ता व विपक्षी दलों के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप शुरू कर दिये हैं। राजनीति के स्वयंभू 'चाणक्यों' द्वारा बड़ी ही चतुराई से मतदाताओं का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटका कर ग़ैर ज़रूरी मुद्दों की तरफ़ खींचा जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि इस बार होने जा रहे 18वीं लोकसभा के आम चुनाव संभवतः पूर्व में अब तक हुए सभी चुनावों की तुलना में कुछ ज़्यादा ही कटु वातावरण में होने की संभावना है। इसके लक्षण भी अभी से दिखाई भी देने लगे हैं।