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क्रिकेट : भारत के महान खिलाड़ी संवेदनशील मुद्दों पर क्यों नहीं बोलते?

एक अहम सवाल यह उठता है कि आख़िर भारतीय दिग्गज़ खिलाड़ी देश के संवेदनशील मुद्दों पर कुछ क्यों नहीं बोलते हैं? भारत जैसे मुल्क में जहाँ तथाकथित ऊँची जाति और पिछड़ी जाति के मामले अक्सर राष्ट्रीय सुर्खियाँ बनती हैं, हमारे खिलाड़ी ऐसा रवैया अपनाते हैं जैसे वे ऐसे मुद्दों पर पूरी तरह से अनभिज्ञ हों।
विमल कुमार
तो आख़िरकार 8 जुलाई को टेस्ट क्रिकेट ने फिर से उम्मीद की नई सांस ले ही ली। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ के बीच साउदैंपटन में जब पहले टेस्ट के लिए पहली गेंद फेंकी गई तो नज़ारा ऐतिहासिक था। 
दरअसल, ऐतिहासिक लमहा तो गेंद फेंकने से पहले ही बीत चुका था। क्रिकेट की बात तो हम बाद में करेंगे, लेकिन उससे पहले वह बात जो शायद क्रिकेट या क्रिकेट खिलाड़ी कभी नहीं करते।
विचार से ख़ास

ऐतिहासिक लमहा

पूरी दुनिया में अश्वेत लोगों के लिए #ब्लैकलाइव्समैटर कैंपेन चल रहा है। ऐसे में इंग्लैंड में, अंग्रेज़ों के इंग्लैंड में, एक अश्वेत खिलाड़ी (वेस्टइंडीज़ के पूर्व दिग्गज गेंदबाज़) माइकल होल्डिंग ने जो बातें कहीं, उससे पूरी दुनिया में सनसनी फैल गई। 
क्रिकेट जगत कभी यह सोच ही नहीं सकता था कि जिस इंग्लैंड ने क्रिकेट खेलने वाले ज़्यादातर मुल्कों को अपना ग़ुलाम बनाया था, उन्हीं मुल्कों में से एक का खिलाड़ी उनके यहाँ आकर उन्हें उनके अतीत की ग़लतियों का एहसास करायेगा।

क्या कहा माइकल होल्डिंग ने?

क्रिकेट के लिए यह लमहा शायद उतना ही अहम साबित हो जितना कि सर फ्रैंक वॉरल जैसे अश्वेत खिलाड़ी का वेस्टइंडीज़ का पहली बार कप्तान बनने की घटना हो। होल्डिंग ने कहा कि- ‘समाज के लोगों को एजुकेट किए जाने की ज़रूरत है ताकि एक बेहतर समाज बन सके।’ 
होल्डिंग ने अपनी भावुक स्पीच में साफ़ कहा - ‘इतिहास हमेशा विजयी लोगों द्वारा ही लिखा जाता है। जो नुक़सान करते हैं उनकी गाथा गायी जाती है।’ होल्डिंग ने लोगों से अपील की, 

‘हमें पीछे जाना चाहिए और इतिहास को दोनों पक्षों (विजेता और पराजित) के नज़रिये से देखने की कोशिश करनी चाहिए।’


माइकल होल्डिंग, पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी

नासिर ने किया समर्थन

होल्डिंग की बातों से साथी कमेंटेटर नासिर हुसैन भी काफी प्रभावित हुए। हुसैन, जिनके पिता भारतीय मूल के हैं और माँ इंग्लिश, ने कहा कि कैसे शुरुआत में जब टीवी पर पहली बार अमेरिका की हाल की क्रूर घटना की तसवीरें सामने आयीं तो वह उसे नज़रअंदाज़ करना चाहते थे। 
लेकिन बाद में उन्होंने निश्चय किया कि अब वक़्त नज़रअंदाज़ करने का नहीं, बल्कि खुलकर बोलने का है। भारत के दिग्गज़ खिलाड़ियों की ज़़ुबान से अब तक तो कुछ नहीं निकला है। हाँ आर. पी. सिंह और आकाश चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों ने ट्विटर पर होल्डिंग की राय के साथ सहमति जतायी है। 

भारतीय खिलाड़ियों की रहस्यमय चुप्पी

ऐसे में एक अहम सवाल यह उठता है कि आख़िर भारतीय दिग्गज़ खिलाड़ी देश के संवेदनशील मुद्दों पर कुछ क्यों नहीं बोलते हैं? भारत जैसे मुल्क में जहाँ तथाकथित ऊँची जाति और पिछड़ी जाति के मामले अक्सर राष्ट्रीय सुर्खियाँ बनती हैं, हमारे खिलाड़ी ऐसा रवैया अपनाते हैं जैसे वे ऐसे मुद्दों पर पूरी तरह से अनभिज्ञ हों।
यह तर्क तब भी ठीक लगता है जब खिलाड़ी खेल में सक्रिय होता है, लेकिन रिटायरमेंट के बाद कपिल देव, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और सौरभ गांगुली जैसे महान खिलाड़ी कभी कुछ नहीं कह पाते हैं।

इरफ़ान पठान

हाल के दिनों में इरफ़ान पठान एक ऐसी आवाज़ बनकर ज़रूर उभरे हैं, जिन्होंने कई संवेदनशील मुद्दों पर बेबाक राय रखी है। इरफ़ान की राय से आप सहमत हों या असहमत, लेकिन आपको इस बात के लिए उनकी दाद ज़रूर देनी पड़ेगी कि उन्होंने हिम्मत तो दिखाई है। 
इरफान ने यह भी कहा है कि भारत में ऐसे मुद्दे पर बोलने से या तो आपको आर्थिक नुक़सान होता है या फिर आपकी ट्रोलिंग। इसलिए ज़्यादातर खिलाड़ी ऐसा कहने से बचते हैं।

विवादास्पद मुद्दों पर चुप रहो!

हाल ही में स्टार टीवी के सर्वेसर्वा उदय शंकर ने इंडियन एक्सप्रेस अख़बार को दिए एक इटंरव्यू में साफ़ किया था कि वह क्रिकेट पत्रकार और कमेंटेटर की भूमिका को बिल्कुल अलग मानते हैं। उनका कहना था कि कमेंटेटर का काम खेल के बारे में अच्छी-अच्छी बातें करना ही है ना कि विवादास्पद मुद्दों पर खुलकर बोलना। 

अब आप सोच ही सकते हैं कि इसके बाद कोई दिग्गज खिलाड़ी खुलकर किसी मुद्दे पर बोलने के बारे में क्यों सोचेगा! 

बहरहाल, 117 दिनों के अंतराल के बाद इंग्लैंड में जिस तरह से क्रिकेट ने फिर से करवट ली है, उससे अब आगे का रास्ता भी तय होगा। हमें आने वाले कई महीनों तक बिना दर्शकों के शोरगुल के मैच देखने की आदत डालनी पड़ेगी। बीसीसीआई के तमाम अधिकारी इस सीरीज़ पर टकटकी नज़र बनाये हुए थे। कामयाब सीरीज़ दुनिया के सबसे ताक़तवर बोर्ड को अब इस बात का भरोसा दे सकती है कि आईपीएल 2020 का आयोजन देश या विदेश में भी मुमकिन है।
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