वर्ष 1943 का बंगाल का अकाल आधुनिक भारतीय इतिहास की सबसे विनाशकारी घटनाओं में से एक है। इस भीषण अकाल में 30 लाख लोग मारे गए थे। भारत पर अपने शासन के दौरान तथा भारत छोड़ने के कई दशकों के बाद तक अंग्रेज दृढ़ता से दावा करते रहे कि बंगाल का यह भीषण अकाल प्राकृतिक था, तथा भारतीय स्वयं इसके लिए ज़िम्मेदार थे।
भारत सरकार के पास क्यों अभी तक कोई वैक्सीन नीति ही नहीं है?
- विचार
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- 20 May, 2021

दुर्भाग्य से अब भी भारत सरकार के पास टीकाकरण अभियान की कोई स्पष्ट नीति नहीं है, और न ही इसे ठीक करने का कोई प्रयास होता दिख रहा है। जबकि यूरोपीय संघ में 27 अलग-अलग देश टीकों के मूल्य पर मोलभाव करने के लिए वैक्सीन निर्माताओं के साथ बातचीत करने के लिए एक साथ आए हैं, भारत में केंद्र सरकार ने अपने राज्यों से कहा है कि वे अपने राज्य के लिए टीके स्वयं खरीद लें।
तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने बंगाल के इस भयानक अकाल के लिए भारतीयों को स्पष्ट रूप से दोषी ठहराते हुए कहा था कि भारतीय ‘खरगोशों की तरह प्रजनन’ कर रहे थे, जिससे भोजन की कमी हो गई और टिप्पणी की कि अगर अकाल इतना भयानक था, तो महात्मा गांधी अभी भी जीवित कैसे हो सकते थे। बेशक, शासितों द्वारा झेली गई त्रासदियों की कहानियाँ शासकों द्वारा प्रस्तुत कहानियों से बहुत अलग होती हैं, जो अक्सर दुनिया के सामने नहीं आ पातीं।
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ. अजय कुमार कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। वह समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।