प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार दोहराते हैं कि भारत ‘लोकतंत्र की जननी’ है। अपनी हालिया अमेरिका यात्रा में भी उन्होंने अमेरिका के ‘सबसे बड़े लोकतंत्र’ होने और भारत के ‘लोकतंत्र की जननी’ होने को मज़बूत रिश्ते की बुनियाद बताया। लेकिन संपुट की तरह दोहराये जाने वाला इस वाक्य का कोई अर्थ भी है या फिर यह महज़ एक ढाल है जिसके नीचे जर्जर होते जा रहे भारतीय लोकतंत्र की असली तस्वीर छिपायी जा रही है?