पाँच राज्यों में चुनावी चक्रव्यूह भेदने को बेक़रार प्रधानमंत्री मोदी ने 4 नवंबर को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए 80 करोड़ ग़रीबों को हर महीने पाँच किलो मुफ्त राशन देने की योजना को पाँच साल और बढ़ाने का ऐलान किया। कोई और समय होता तो चुनाव आयोग आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह के नीतिगत फ़ैसले के ऐलान का संज्ञान ज़रूर लेता, लेकिन मोदीजी को इसका डर नहीं है। उन्होंने अपने साढ़े नौ साल के शासन में तमाम संवैधानिक संस्थाओं को इस लायक़ नहीं छोड़ा है कि वे सरकार पर अंकुश लगा सकें।
नाकामियों के पहाड़ पर खड़े होकर उपलब्धियाँ गिना रहे हैं मोदी?
- विचार
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- 7 Nov, 2023

प्रधानमंत्री मोदी की आख़िर अगले पाँच साल तक के लिए 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की घोषणा के मायने क्या हैं? जानिए, उनकी उपलब्धियाँ और विफलताएँ क्या हैं।
बहरहाल, पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के वादे उनकी असफलता की कहानी खुद कहते हैं। मीडिया के कैमरे उनकी छवि महामानव जैसी दिखाने के निर्धारित काम को पूरी निष्ठा से कर रहे हैं, लेकिन मोदी जी असफलताओं के जिस पहाड़ पर खड़े होकर लोगों को संबोधित कर रहे हैं, वह नज़र आ ही जाता है। मोदी जी का दूसरा कार्यकाल खत्म होने की ओर है। यह उनकी कॉपी जाँचने का सही समय है। लेकिन अपनी उपलब्धियों पर चर्चा के बजाय वे विपक्ष, खासतौर पर कांग्रेस और उसमें भी गाँधी परिवार पर व्यक्तिगत हमला करने में जुटे रहते हैं।