पहली नज़र में निर्मल हृदय से देखने पर बात एकदम सही लगती है। वेब सीरीज़ में या नेटफ्लिक्स, एमेज़ॉन या आल्ट बालाजी और उल्लू ऐप जैसे प्लेटफॉर्म पर आने वाली फिल्मों या वीडियो में बेलगाम अश्लीलता, हिंसा और गाली गलौज पर रोक लगाने की ज़रूरत बहुत से लोगों को महसूस हो रही थी। इसी तरह व्हाट्सऐप, ट्विटर, फ़ेसबुक पर तरह-तरह की उल्टी सीधी जानकारी, अफवाहें, गाली गलौज या नफ़रत फैलाने वाली सामग्री। या हजारों की संख्या में चल रही वेबसाइटों या यू-ट्यूब चैनल। इन सब पर कहाँ क्या चलता है, कौन चलाता है, कौन उस पर नज़र रखता है। और जब ऐसी सामग्री दिखे जो आपको परेशान करती है तो आपको कहाँ किससे शिकायत करनी है, इसके नियम क़ायदे साफ़ नहीं दिखते थे। इसीलिए जब सरकार ने कहा कि वह ऐसी सामग्री के लिए नियमावली या कोड ऑफ़ कंडक्ट और उसे चलाने वाले प्लेटफॉर्म के लिए दिशा-निर्देश जारी कर रही है तो बात बहुत से लोगों को सही लगी।