नकदी संकट से जूझ रही पंजाब सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले नौ महीनों में 30,000 करोड़ रुपये का भारी कर्ज ले लिया है। आशंका है कि सरकार के पास फंड की भारी कमी होने वाली है। सरकार मुश्किल से ही सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह का भुगतान कर पा रही है। आमदनी तो कुछ खास बढ़ी नहीं और बिजली पर सब्सिडी के तौर पर क़रीब 1500 करोड़ रुपये हर महीने ख़र्च हो रहे हैं। तो सवाल है कि पंजाब ऐसी स्थिति में कैसे आर्थिक हालत सुधारेगा? कहीं राज्य की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने की तरफ़ तो नहीं बढ़ रही है?