लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि मोदी सरकार ने 2023 में एक ऐसा कानून बनाया, जिसके तहत चुनाव आयुक्तों के ख़िलाफ़ भविष्य में कोई मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता। यानी उन्हें किसी भी दंड से छूट मिल गयी है। राहुल का दावा है कि इस कानून के ज़रिए सरकार ने आयुक्तों को यह भरोसा दिलाया है कि वे बेझिझक बीजेपी के पक्ष में हेराफेरी कर सकते हैं। पकड़े जाने पर भी उन्हें सजा नहीं होगी।
चुनाव आयुक्तों को ‘किस अपराध’ की सज़ा से बचाने को सरकार ने बदला क़ानून?
- विश्लेषण
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- 19 Aug, 2025

सरकार ने चुनाव आयुक्तों से जुड़े क़ानून में बदलाव किया है। सवाल है– किस अपराध की सज़ा से बचाने के लिए यह संशोधन किया गया? जानें पूरी रिपोर्ट।
बिहार में चल रही वोट अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गाँधी इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि स्पेशल इंटेसिव रिवीजन के नाम पर गरीबों, खासकर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के नाम मतदाता सूची से हटाये जा रहे हैं। यह सब चुनाव आयोग की मिलीभगत से हो रहा है। पिछले दिनों राहुल ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके कर्नाटक की एक विधानसभा सीट पर एक लाख से ज्यादा फर्जी वोट जोड़ने का दस्तावेज़ी ‘प्रमाण’ दिया था, जिसके चलते लोकसभा चुनाव का परिणाम प्रभावित हुआ। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार बदली, तो बेईमान आयुक्तों के खिलाफ कार्रवाई होगी, भले ही वे रिटायर हो चुके हों। अब वे यह भी बता रहे हैं कि सरकार ने एक कानून बनाकर इस रास्ते में बाधा खड़ी कर दी है।