गत 12 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) का त्यौहार था। इस दिन आरएसएस का स्थापना दिवस मनाया जाता है। परंपरा है कि इस दिन आरएसएस प्रमुख (सरसंघचालक) का संबोधन होता है। परंपरा के अनुरूप, डॉ. मोहन भागवत ने भाषण दिया। यह भाषण उनके उस महत्वपूर्ण भाषण के कुछ दिन बाद हुआ जो उन्होंने 2024 के आमचुनाव में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद दिया था। उस भाषण में उन्होंने नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाया था। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने यह दावा किया था कि वे ‘नॉन बायोलॉजिकल’ हैं और उन्हें लगता है कि उन्हें ईश्वर ने धरती पर भेजा है। चुनाव में भाजपा की सीटें 303 से घटकर 240 हो जाने की पृष्ठभूमि में भागवत ने कहा “एक आदमी पहले सुपरमैन बनना चाहता है, फिर देव, और फिर ईश्वर।”
भारतीयों के रूप में एकजुट हों तो क्या दिक्कत है?
- विचार
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- 25 Oct, 2024


आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आख़िर फिर से हिंदू राष्ट्र का राग क्यों अलापा? आख़िर वह बार-बार हिंदुओं को एकजुट होने के लिए क्यों कह रहे हैं?
शायद यह पहला चुनाव था जिसमें भाजपा ने यह दावा किया था कि पहले वह आरएसएस से मदद मांगती थी क्योंकि उसकी अपनी ताक़त कम थी। लेकिन वह अब पहले से ज़्यादा शक्तिशाली हो गई है।























