बात 1999 की जनवरी के पहले हफ्ते की रही होगी जब सुबह सुबह लखनऊ दूरदर्शन में डायरेक्टर कुलभूषण का फ़ोन आया कि, ‘यार एक इंटरव्यू करवाना है सोचा पहले तुमसे बात कर लें!’ हमने कहा, ‘ कुलभूषण जी आप केन्द्र के निदेशक हैं जिसका चाहें इंटरव्यू करवा लें! इसमें पूछने की क्या बात है?’ कुलभूषण बोले, ‘ यार दफ़्तर में तुम्हारे अलावा किसी की परवाह नहीं है इसलिए पूछ रहे हैं! तुम रिएक्ट बहौत जल्दी करते हो! हालांकि ठीक रिएक्ट करते हो!’ हमने पूछा, ‘ किसका इंटरव्यू होना है?’ बोले, ‘ सुब्रत राय सहारा का!’ हमने कहा, ‘ सुब्रत राय ने ऐसा क्या किया?’ कुलभूषण बोले, ‘ अरे यार पी.आर. इंटरव्यू है। कभी कभी तो डायरेक्टर की भी चलनी चाहिए!’ हमने कहा, ‘ठीक है किसी जर्नलिस्ट से करवा लीजिए‘। कुलभूषण बोले, ‘ सुब्रत राय का इंटरव्यू करने के लिए तो लखनऊ से दिल्ली तक सो कॉल्ड जर्नलिस्टों की लाइन लगी है! ये इंटरव्यू कल सुबह होना है और इसे तुम करोगे!’ हमने हामी भर दी क्योंकि ऐसे पी.आर. इन्टरव्यूज़ में किसी तैयारी की ज़रूरत नहीं होती है।
सुब्रत राय: यारों के यार!
- श्रद्धांजलि
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- 15 Nov, 2023

सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। जानिए, वह किस तरह की शख्सियत थे।

वैसे भी कुलभूषण जी को हम पसंद करते थे और वो हमें! बड़े साफ़ दिल इंसान थे। प्राइमेरिली कैमरामैन थे जो प्रमोट होते होते कैमरामैन के इंचार्ज यानी वीडियो एक्ज़ीक्यूटिव बन गए और फिर केन्द्र के प्रोग्राम विंग में सीनियर मोस्ट यानी चीफ़ प्रोड्यूसर होकर केन्द्र निदेशक तक पहुंच गए! ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन पब्लिकली अंग्रेज़ी बोलना ही पसंद करते थे। जब कभी अपनी पी.ए. को कोई डिक्टेशन देना होता था तो अक्सर हमें बुलवा लेते। आधा- तीहा बोलकर कहते, ‘रमन जी को दिखा लेना वो करेक्ट करवा देंगे!’ जब कहीं किसी मीटिंग में जाना होता या किसी बाहरी से मिलना होता तो हमें साथ में लाद लेते थे! कुलभूषण जी ने हमें जो इज़्ज़त बख़्शी थी उस वजह से हमारे ऊपर उनके ख़ासे एहसानात थे! लिहाज़ा दफ़्तर के तमाम चीजों के बीच उनकी बातों को टालना भी मुमकिन नहीं था!



























