पठान फिल्म बॉलीवुड में रोजाना नए रेकॉर्ड बना रही है। नई-नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। हालांकि कट्टरपंथी ताकतों को करारा जवाब मिल चुका है लेकिन इसके बावजूद यह तबका रोजाना कुछ न कुछ खुराफात में लगा हुआ है।
कोरोना लॉकडाउन के बाद सिनेमाघरों में जिस तरह फिल्मों की हालत हो रही थी क्या उसके लिए वे फिल्में ज़िम्मेदार नहीं थीं? आख़िर ब्रह्मास्त्र में ऐसा क्या था कि सिनेमाघरों में भीड़ दिखी? पढ़िए ब्रह्मास्त्र की समीक्षा।
फिल्म लाल सिंह चड्ढा को लेकर इतनी चर्चा क्यों है? आख़िर इस फिल्म में ऐसा क्या है कि इस पर बहस हो रही है कि यह फिल्म देखें या न देखें? पढ़िए इस फिल्म की समीक्षा।
क्या यूपी की राजधानी लखनऊ से लेकर नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, इंदिरापुरम, मेरठ में हज़ारों आवासीय समितियों पर सत्ता से नज़दीकी रखने वाले छुटभैये क़िस्म के लोग काबिज़ नहीं हैं?
फ़िल्म सम्राट पृथ्वीराज रिलीज के पहले दिन कुछ ख़ास क्यों नहीं कर सकी? आख़िर 300 करोड़ की लागत से बनी इस फ़िल्म में क्या है ख़ास, पढ़िए फ़िल्म समीक्षा में।
डिज़्नी हॉटस्टार पर आई फ़िल्म ‘ए थर्सडे’ की समीक्षा में पढ़िए कैसे आम महिला के दुखद, पीड़ादायक अतीत, उसके साथ हुए जघन्य अपराध, अन्याय और अपराधियों के छुट्टा घूमते रहने पर पैदा हुए ग़ुस्से को कैसे पेश किया गया है।
महेश भट्ट् वूट सेलेक्ट पर वेब सीरीज़ ‘रंजिश ही सही’ में फिर अपनी और परवीन बाबी की प्रेम कहानी को ओटीटी के दर्शकों के लिए नये रंगरूप में सामने लेकर आये हैं।