2000 रुपये के नोट को वापस लेने के फ़ैसले को कालेधन पर प्रहार क्यों बताया जा रहा है? जब 2000 रुपये का नोट शुरू हुआ था तब भी कालाधन पर प्रहार ही था? आख़िर यह कैसे संभव है?
2000 रुपये के नोटों को आरबीआई द्वारा वापस लिए जाने की घोषणा के बाद नोट बदलवाने के लिए प्रक्रिया पर संशय के बीच अब एसबीआई का एक दिशा-निर्देश सामने आया है। जानिए क्या है प्रक्रिया।
सरकार के निर्देश पर आरबीआई ने कल दो हजार के नोटों का चलन बंद करने की घोषणा की। पत्रकार संजय कुमार सिंह बता रहे हैं कि इस निर्णय से भारत सरकार की नोटबंदी नीति और भारतीय करंसी की साख क्यों दांव पर लग गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आज गुरुवार 6 अप्रैल को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी, जिन्होंने लोन ले रखा था और उनकी ईएमआई अब नहीं बढ़ेगी।
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि आर्थिक विकास उम्मीद से धीमा रहा है। वैश्विक आर्थिक स्थिति तनावपूर्ण है जो आगे चलकर विकास की गति पर चिंताएं बढ़ा सकता है।
अडानी समूह पर लगे तमाम आरोपों के बीच नेशनल स्टॉक एक्सचेज ने अडानी की दो कंपनियों को निगरामी सिस्टम से हटा दिया है। यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। दूसरी तरफ अडानी समूह के खिलाफ सरकार एजेंसियों की जांच की खबरें मीडिया में चारों तरफ से हैं लेकिन उन एजेंसियों ने अपनी तौर पर कोई घोषणा नहीं की है।
आरबीआई ने 2023-24 के लिए रेपो दर को 6.5% तक बढ़ा दिया है। वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि 6.4% पर रहेगी। लेकिन रेपो रेट बढ़ने से जनता की जेब ढीली होगी। उसे मिलने वाला हर तरह का लोन महंगा हो जाएगा।
अडानी समूह के शेयर में आए उथल-पुथल से क्या भारतीय बैंकों के लिए कोई बड़ा जोखिम है? आख़िर यह सवाल क्यों उठ रहा है? जानिए इसके बारे में आरबीआई ने क्या कहा।
रिपोर्ट आने के बाद से अडानी
समूह की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। एक तरफ उसके शेयरों में लगातार
गिरावट जारी है पिछले एक हफ्ते में उसकी मार्केट कैपटालाइजेशन 19.8 लाख करोड़ से घटकर
11.2 लाख करोड़ पर आ गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से अडानी समूह के बारे में गुरुवार को सूचनाएं मांगी हैं। आरबीआई जानना चाहता है कि किन बैंकों ने अडानी कंपनियों में निवेश कर रखा है। सेबी भी कथित तौर पर जांच कर रहा है। सत्य हिन्दी पर अडानी की खबरों का अपडेट जानते रहिए।