दक्षिण की राजनीति में एक बार फिर फ़िल्मी सितारों की धूम है। बड़े-बड़े नामचीन कलाकारों के राजनीति में आने से स्थिति ऐसी बनती लग रही है कि सत्ता एक बार फिर फ़िल्मी सितारों के ईद-गिर्द घूमेगी। रजनीकांत, कमल हासन, पवन कल्याण, प्रकाश राज, उपेंदर जैसे कलाकार राजनीतिक दंगल में कूद पड़े हैं। मलयालम फ़िल्मों के सुपरस्टार मोहनलाल के भी राजनीति में आने के संकेत दिखाई देने लगे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ये फ़िल्मी सितारे एम.जी. रामचंद्रन (एमजीआर) या एन.टी. रामा राव (एनटीआर) की तरह करिश्मा कर पाएँगे?
एमजीआर-एनटीआर जैसा करिश्मा कर पाएँगे रजनीकांत, कमल?
- तमिलनाडु
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- 6 Feb, 2019
दक्षिण की राजनीति में एक बार फिर फ़िल्मी सितारों की धूम है। रजनीकांत, कमल हासन, पवन कल्याण, प्रकाश राज, उपेंदर जैसे कलाकार राजनीतिक दंगल में कूद पड़े हैं। क्या ये फ़िल्मी सितारे एमजीआर या एनटीआर की तरह करिश्मा कर पाएँगे?

सवाल और भी कई हैं। मसलन, क्या रजनीकांत और कमल हासन अपने दम पर अपनी पार्टी को चुनाव जिताकर ख़ुद मुख्यमंत्री बनने की क्षमता रखते हैं? क्या पवन कल्याण अपने बड़े भाई ‘मेगास्टार’ चिरंजीवी के राजनीति में कोई धमाल न मचा पाने के सच को पीछे छोड़कर नया इतिहास लिखने की ताक़त रखते हैं? क्या प्रकाश राज में वाकई राजनीति बदलने और एक नया विकल्प देने की ताक़त है? क्या मोहनलाल राजनीति के दंगल में कूदेंगे और अगर वह राजनीति में आते हैं तो वह केरल में बीजेपी के लिए बड़ा जनाधार खड़ा कर पाएँगे? इन सभी सवालों का जवाब समय देगा, लेकिन इतना तय है कि आने वाले लोकसभा चुनाव और दक्षिण के पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में फ़िल्मी सितारों की भूमिका बड़ी होगी।
- फ़िल्मी सितारों ने सबसे ज्यादा धूम तमिलनाडु में मचाई है। तमिलनाडु की राजनीति और फ़िल्मी दुनिया का रिश्ता बहुत ही गहरा और तगड़ा है। राजनीति को एक नयी दशा और दिशा देने वाले पहले फ़िल्मी कलाकार थे तमिलनाडु के सुपरस्टार एमजीआर।
- अन्नादुरै ने साल 1949 में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) नाम से एक राजनीतिक दल बनाया। साल 1967 में वह मद्रास राज्य के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। साल 1969 में जब मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु किया गया तब उन्हें तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री होने का गौरव हासिल हुआ।
अन्नादुरै के निधन के बाद डीएमके की कमान करूणानिधि की हाथों में आई। इस समय एमजीआर भी डीएमके में ही थे। लेकिन, कुछ समय बाद करूणानिधि और एमजीआर के बीच मतभेद उभरे और थोड़े ही समय में चरम पर पहुँच गए। एमजीआर ने डीएमके से नाता तोड़कर अपनी ख़ुद की पार्टी बनाई और उसका नाम रखा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एआईएडीएमके)। एमजीआर ने जिस समय पार्टी बनाई थी उस समय वह लोकप्रियता के शिखर पर थे। लेकिन सत्ता में आने के लिए एमजीआर को पाँच साल का इंतज़ार करना पड़ा। साल 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके भारी बहुमत से जीत हासिल की और एमजीआर मुख्यमंत्री बने। अपनी मृत्यु तक वह मुख्यमंत्री रहे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी जानकी और मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री जयललिता में वर्चस्व को लेकर जंग हुई। इस जंग में कामयाबी जयललिता को ही मिली और एआईएडीएमके की कमान भी उन्हीं के हाथों में आई। आगे चलकर जयललिता भी मुख्यमंत्री बनीं और लम्बे समय तक सत्ता में रहीं। साल 2016 में जयललिता का निधन हुआ और 2018 में करूणानिधि की मृत्यु।