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प्रतीकात्मक तसवीर। फ़ोटो साभार: ट्विटर/न्यू साइंटिस्ट

कौन है ये ड्रैगनमैन और क्या है इसका मानव जाति से रिश्ता?

हम आधुनिक मानव यानी होमो सेपियंस पिछले दस हज़ार सालों से एकमात्र मानव प्रजाति होने के इस कदर अभ्यस्त हो चुके हैं कि किसी दूसरी मानव प्रजाति के बारे में कल्पना करना भी मुश्किल लगता है। लेकिन उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के आरंभ में मानव वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों ने हमारी इस सोच को बदलते हुए बताया कि वास्तव में होमो सेपियंस मानव प्रजातियों की महज एक क़िस्म है।

आज से क़रीब एक लाख साल पहले पृथ्वी कम से कम सात मानव प्रजातियों का घर हुआ करती थी। दिलचस्प बात यह है कि अब इस दिशा में खोज की दर इतनी तेज़ हो गई है कि साल-दर-साल मानव वंश वृक्ष या फ़ैमिली ट्री में नए-नए नाम जुड़ते जा रहें हैं। इसी कड़ी में हाल ही में चीन के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्राचीन खोपड़ी के बारे में जानकारी दी है, जो पूरी तरह से एक नई प्रजाति के मानव की हो सकती है।

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शोधकर्ताओं का दावा है कि यह अभी तक पहचाने गए हमारे सबसे नज़दीकी वंशजों जैसे- होमो निएंडरथल्सया होमो इरेक्टस की तुलना में और भी क़रीबी रिश्तेदार हो सकता है। वैज्ञानिकों ने इस नए मानव प्रजाति को ‘होमो लोंगी’ नाम दिया है। चीनी भाषा में ‘लोंग’ ड्रैगन को कहा जाता है, इसलिए इस नई प्रजाति को ड्रैगन मैन नाम से भी बुलाया जा रहा है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक़ यह खोज मानव विकास क्रम की कहानी में नया मोड़ लाकर इंसानी उत्पत्ति के इतिहास को नए सिरे से लिखने के लिए बाध्य कर सकती है। इसी 25 जून को ‘द इनोवेशन’ जर्नल में प्रकाशित तीन शोधपत्रों के माध्यम से इस खोज का खुलासा किया गया। शोधकर्ताओं का दावा है कि हमारे नज़दीकी संबंधी निएंडरथल्स नहीं बल्कि ड्रैगन मैन की यह नई प्रजाति थी। ग़ौरतलब है कि अभी निएंडरथल्स और होमो इरेक्टस को मनुष्य का सबसे नज़दीकी रिश्तेदार समझा जाता है। ऐसे में अगर ड्रैगन मैन को एक अलग प्रजाति के रूप में दर्जा मिल गया तो निएंडरथल्स को आधुनिक मानव के क़रीबी संबंधियों के पद से हटाया जा सकता है।

ड्रैगन मैन आज से तकरीबन एक लाख 46 हज़ार साल पहले पूर्वी एशिया में रहते थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि ड्रैगन मैन बेहद शक्तिशाली और आक्रामक रहे होंगे। हालाँकि उनके रहन-सहन के तौर-तरीक़ों के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं मिल पाई है। फ़िलहाल हमारे पास ड्रैगन मैन के होने का प्रमाण सिर्फ़ एक प्राचीन खोपड़ी है, जिसका जीवाश्म 1933 में उत्तर पूर्वी चीन के हर्बीन में एक मज़दूर को मिला था। इस खोपड़ी को उस मज़दूर ने तब खोजा था जब वो हर्बीन से गुजरने वाली सोंगुआ नदी पर पुल बनाने में सहयोग कर रहा था। सोंगुआ का अर्थ है- काले ड्रैगन की नदी, जिसके ऊपर इस प्रजाति का नाम रखा गया है। उस समय यह इलाक़ा जापानियों के कब्जे में था। खोपड़ी को जापानी सेना की नज़रों से बचाने के लिए मज़दूर ने उसे एक कुएँ में छिपा दिया था।

85 साल तक यह खोपड़ी कुएँ में ही पड़ी रही। मरने से पहले उस मज़दूर ने इस खोपड़ी के बारे में अपने पोते को बताया। इसके बाद यह खोपड़ी साल 2018 में हेबेई जीईओ यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जी सियांग को अध्ययन के लिए सौंप दिया गया।

जी सियांग ने जियोकेमिकल तकनीक की मदद से पता लगाया कि यह खोपड़ी लगभग एक लाख 46 हज़ार साल पुरानी होगी। सियांग के नेतृत्व में चीनी शोधकर्ताओं ने अब इस खोपड़ी के जीवाश्म का गहन अध्ययन कर इसे इंसानों की एक अलग प्रजाति के तौर पर पहचान की है।

द इनोवेशन जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र के मुताबिक़ खोपड़ी एक नर मानव की है। जिसकी उम्र 50 साल के क़रीब हो सकती है और शायद ये बाढ़ वाले जंगली इलाक़े में रहता होगा। मानव वैज्ञानिकों का कहना है कि उस वक़्त के इंसान शिकारी-संग्रहकर्ता रहे होंगे जो ज़मीन पर रहते थे। हर्बीन इलाक़े के मौजूदा शीतकालीन तापमान के मद्देनज़र ड्रैगन मैन को निएंडरथल्स से भी ज़्यादा ठंड सहन करना पड़ता होगा। ड्रैगन मैन बहुत ही कठोर वातावरण में रहा करते थे और हो सकता है कि पूरे एशिया में फैले होंगे।

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कंप्‍यूटर सिमुलेशन और आर्टिस्‍ट की मदद से ड्रैगन मैन की जो अनुमानित छवि बनाई गई है, उसके मुताबिक़ इस प्रजाति के मानव की खोपड़ी मौजूदा इंसान की खोपड़ी से थोड़ी बड़ी रही होगी। लेकिन इसके भीतर मस्तिष्क की जगह लगभग सामान्य सिर के बराबर ही है। आँखों के गड्ढे भी सामान्य से थोड़े बड़े और आँख लगभग चौकोर रहा होगा। उनके भौं के ऊपर की हड्डी थोड़ी उभरी हुई रही होगी, जबकि इनके मुँह चौड़े रहे होंगे और दांत भी सामान्य से ज़्यादा बड़े रहे होंगे।

लंदन स्थित नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के रिसर्च लीडर और प्रख्यात एवॉल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर क्रिस स्ट्रिंगर का कहना है कि यह पिछले 50 साल की सबसे बड़ी खोज है। उनके मुताबिक़ अब तक मिले लाखों सालों के जीवाश्म अवशेषों में यह सबसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है। वहीं चाइनीज एकेडमी ऑफ़ साइंस के प्रोफ़ेसर शीजुन नी का मानना है कि यह एक बड़ी कामयाबी है कि हमने अपनी सबसे क़रीबी प्रजाति की पहचान कर ली है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि इस खोज से हम बेहद चकित हैं और सबसे ज़्यादा ताज्जुब की बात यह है कि यह खोपड़ी अब भी बेहद सुरक्षित अवस्था में है।

हेबेई जीईओ यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जी सियांग, जिनकी देखरेख में पूरे शोध को अंजाम दिया गया, के मुताबिक़ यह अब तक की खोजी गई प्राचीन मानव की सम्पूर्ण खोपड़ियों में से है।

इसकी ख़ास बात यह है कि इसमें आदिम विशेषताओं के साथ-साथ आधुनिक विशेषताओं का भी मिश्रण है, जिसकी बदौलत यह बाक़ी इंसानी प्रजातियों से एकदम अलग दिखाई देती है। 

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ग़ौरतलब है कि ड्रैगन मैन या होमो लोंगी एशिया में उस समय रह रहे थे, जब होमो सेपियंस, होमो निएंडरथल्स, डेनिसोवंस और होमो फ्लोरेसीन्सिस मानव प्रजातियाँ भी पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद थीं। वैज्ञानिकों का अभी तक यह मानना था कि मनुष्य जैसी दिखने वाली सबसे पुरानी प्रजाति होमो इरेक्टस अफ़्रीका से बाहर निकलकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैली और बाक़ी मानव प्रजातियाँ होमो इरेक्टस के क्रमिक विकास की ही देन हैं। इस निष्कर्ष को अब होमो लोंगी की खोज से चुनौती मिलने लगी है, जो होमो इरेक्टस के वंशज नहीं प्रतीत होते। जब होमो सेपियंस पूर्वी एशिया तक पहुँचे थे तब होमो लोंगी उस समय वहाँ मौजूद थे, तो उनमें आपस में जेनेटिक मिक्सिंग हो सकता है। फ़िलहाल यह स्पष्ट नहीं है। 

क्रिस स्ट्रिंगर के मुताबिक़, ‘इससे समझ में आता है कि एशिया में मानव का क्रमिक विकास कितना जटिल रहा होगा। वैसे भी पुरातात्विक साक्ष्यों की कमी है, लेकिन अभी तक जो नतीजे सामने आए हैं वह मानव विकासक्रम की कहानी को नया रूप देने के लिए काफ़ी हैं।’ सवाल यह भी है कि होमो लोंगी की तरह पता नहीं हमारे खोए हुए और कितने संबंधियों के निशान ढूंढ निकाले जाने का इंतज़ार कर रहे हैं।
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प्रदीप
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