1993 के 73वें और 74वें संविधान संशोधनों ने एक तरफ महिला सशक्तिकरण को भारतीय लोकतंत्र की हर दीवार पर गोदने का काम किया ताकि महिलाओं को राजनीति व समाज के केंद्र में लाने के लिए किसी धर्म ग्रंथ, धर्म गुरु व ‘सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं’ की ‘रहमत’ पर न रहना पड़े तो दूसरी तरफ इस संशोधन ने 15 लाख से अधिक महिला राजनेताओं की ऐसी शक्ति को जन्म दे दिया है जिसे पीछे करना या धक्का देना अब लगभग असंभव है। इतनी मजबूत व बढ़ती हुई महिला नेतृत्व शक्ति के बावजूद बलात्कार व सामूहिक बलात्कार एक आम घटना बनती जा रही है।