क्या भारत नस्लकुशी की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है? या यह इस सरकार के विरोधियों द्वारा किया जा रहा भय का प्रचार है, अतिरंजित आशंका है? सरकार ही नहीं, भारत को बदनाम करने का षड्यन्त्र है? नस्लकुशी या जनसंहार शब्द का प्रयोग जिम्मेदारी और सावधानी से किया जाना चाहिए, छिटपुट हिंसा की घटनाओं के उदाहरण से बात को बढ़ा-चढ़ाकर उस हिंसा को जनसंहार की पूर्वपीठिका बतलाना कितना उचित है? और नस्लकुशी तो किसकी?