29 अप्रैल को जहाँ मतदान होनेवाला है, वहाँ प्रचार बंद हो गया। रात एक मित्र का फ़ोन आया। दूर अमेरिका से। पहला सवाल था, कन्हैयाजी जीत तो रहे हैं न? पूछनेवाले भूमिहार न थे। हिंदू भी नहीं थे। पहले भी उनका फ़ोन आता रहा था। उसी तरह भारत के दूसरे शहरों से, पुणे, देवास, रायगढ़, भोपाल, लखनऊ या और भी शहरों से, इसी उत्सुक प्रश्न के साथ। दूसरे देशों से भी इस सवाल के साथ कि कैसे कन्हैया की मदद की जा सकती है!