प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार और झारखंड यात्रा में विपक्ष का एक नया चेहरा सामने आया। विपक्ष या ग़ैर भाजपाई दलों ने प्रधानमंत्री का सांकेतिक विरोध भी नहीं किया। बिहार में विपक्ष के नेता राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के तेजस्वी यादव मंच पर प्रधानमंत्री के साथ मौजूद रहे, लेकिन उन मुद्दों को नहीं उठाया जिनसे प्रधानमंत्री मोदी मुश्किल में पड़ सकते थे।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा ने जिस तरह से अजेय माने जाने वाले उद्धव ठाकरे के क़िले को भेद डाला उससे बिहार की राजनीतिक पार्टियाँ भी सकते में हैं। ठाकरे जैसा दबदबे वाला कोई नेता बिहार में नहीं है। इसलिए जेडीयू और आरजेडी दोनों ही अपना गढ़ बचाने में लगी हैं। महाराष्ट्र की घटना से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी साफ़ संकेत मिल गया है कि मोदी से टकराना भारी पड़ सकता है।
इसे प्रधानमंत्री के प्रति विपक्ष के रूख में बदलाव कहा जाय या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक प्रबंधन? ख़ुद नीतीश ने अपनी पुरानी माँगों को किनारे रख दिया।
मोदी बड़ी शान से पटना में बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह में शामिल होकर दिल्ली लौट आए। झारखंड के देवघर में भी हवाई अड्डे के लोकार्पण कार्यक्रम में उनका कोई विरोध सामने नहीं आया। हालाँकि झारखंड में भाजपा विरोधी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की सरकार है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक