बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार में दो साफ़ संकेत छोड़े हैं। पहला ये कि वो बीजेपी के वर्चस्व को पूरी तरह स्वीकार कर चुके हैं। दूसरा ये कि वो अति पिछड़ों के अपने गढ़ में भी बीजेपी को जगह देने के लिए तैयार हैं। एनडीए के तेरह महीनों के मंत्रिमंडल के तीसरे विस्तार में सभी सात मंत्री बीजेपी से लिए गए। इसके पहले तक नीतीश बीजेपी और जेडीयू के बीच संतुलन बना कर चल रहे थे। लेकिन अब मंत्रिमंडल के 36 सदस्यों में 21 बीजेपी के और नीतीश की पार्टी जेडीयू के 13 मंत्री हो गए हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी हम का एक और एक निर्दलीय मंत्री है। इस विस्तार से पहले बीजेपी के 14 और जेडीयू के 13 मंत्री थे।

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बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान क्या नीतीश कुमार को दबाव में फ़ैसले लेने पड़े? क्या यह गठबंधन की मजबूरी थी या राजनीतिक रणनीति? जानिए विस्तार से।
इस विस्तार में बीजेपी ने 5 मंत्री पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से बनाया है जबकि सिर्फ 2 मंत्री सवर्ण वर्ग से हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार यात्रा के एक दिन बाद अचानक हुए इस विस्तार से साफ़ संकेत मिलता है कि बीजेपी ने अक्टूबर - नवंबर में होने वाले चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भागलपुर जाकर किसानों के खाते में दो हज़ार रुपये की 19वीं किस्त जारी करने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री की इस पहल को भी विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा गया था।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक