विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासियों के लिए लंबे समय से चली आ रही मांग ‘सरना धर्म कोड’ को नए सिरे से उछाल दिया है। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार से उनकी मंशा पर सवाल किए हैं।
झारखंड चुनाव में ‘सरना आदिवासी धर्म कोड’ का क्या होगा असर?
- झारखंड
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- 9 Sep, 2024

खूंटी के एक गांव में 23 जून को आयोजित प्रार्थना सभा में सरना धर्म के अनुयायी।
हेमंत सोरेन का कहना है कि झारखंड सरकार ने आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा, लेकिन केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया। जानिए, सरना धर्म कोड क्या है और इस मुद्दे को लेकर किस राजनीतिक दल की क्या स्थिति है।
जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम निर्धारित करने की यह मांग उनकी भावना और पहचान से जुड़ी है। झारखंड में इस मांग को लेकर अलग-अलग आदिवासी संगठन लगातार आंदोलन करते रहे हैं। कई दफा दिल्ली में भी आदिवासी जुटान के साथ इस मुद्दे पर आवाज़ मुखर की गई है। जाहिर तौर पर यह मुद्दा बहस और राजनीति के केंद्र में भी रहा है।