पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना प्रमुख फ़सल है। एक बीघे खेत में क़रीब 70 क्विंटल गन्ना उगता है। उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले के भैंसवाल गाँव के रहने वाले 52 साल के देवराज पहलवान गन्ने की खेती करते हैं। इस साल उन्होंने 25 बीघे ज़मीन में गन्ना लगाया था। वह मिल को अपना गन्ना दे चुके हैं, लेकिन छह महीने से भुगतान नहीं मिला है। गन्ने का क़रीब 5 लाख रुपये मिल में फँसा हुआ है।
'तब तक धरने से नहीं उठेंगे, जब तक क़ानून नहीं बदलेगा’
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- 16 Feb, 2021

शामली कैम्प के सामने देवराज पहलवान।
दिल्ली ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर देवराज पिछले 80 दिनों से धरने पर बैठे हैं। वह कहते हैं कि 81वाँ दिन है और उम्मीद है कि सरकार यह क़ानून वापस ले लेगी और हम लोग अपनी खेती-किसानी करने अपने-अपने घरों को चले जाएँगे।
खेती बाड़ी की समस्याओं के बारे में पूछने पर देवराज बताते हैं कि कहाँ से शुरू करें और कहाँ ख़त्म करें। इस काम में परेशानी ही परेशानी है। हर क़दम पर दुख ही दुख। गन्ने की फ़सल बोने पर नकदी मिल जाती है, इसलिए बोते हैं। डीजल से लेकर खाद और कीटनाशक तक वह सरकार पर निर्भर हैं।