नरोत्तम मिश्रा
बीजेपी - दतिया
हार
'एक देश, एक चुनाव' पर सरकार द्वारा नियुक्त उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसके फायदे गिनाए हैं। उन्होंने कहा है कि इससे लोगों का फायदा होगा और यह देश हित में भी है। कोविंद ने कहा कि इस प्रक्रिया में चुनाव में जो पैसे की बचत होगी, उसका इस्तेमाल विकास कार्यों के लिए किया जा सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति 'एक देश, एक चुनाव' के पक्ष में राय बनाने के लिए अब तक कई बैठकें कर चुके हैं। उच्च स्तरीय समिति की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हो चुके हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता और समिति में विपक्ष की अकेली आवाज अधीर रंजन चौधरी ने इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। उन्होंने अमित शाह को पत्र लिखकर यह बताया था। उन्होंने इस प्रयास को एक धोखा क़रार दिया था।
एक देश एक चुनाव से मतलब है कि पूरे देश में संसद से लेकर पंचायत तक एक साथ चुनाव कराया जाए। केंद्र सरकार ने 2 सितंबर को घोषणा की थी कि उसने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करने और सिफारिशें करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है।
समिति मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों, राज्यों में सरकारों वाले दलों, संसद में अपने प्रतिनिधियों वाले दलों, अन्य मान्यता प्राप्त राज्य दलों से देश में एक साथ चुनाव के मुद्दे पर सुझाव और उनकी राय जानना चाह रही है। कानून मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था कि समिति एक साथ चुनाव के मुद्दे पर अपने सुझाव और दृष्टिकोण के लिए विधि आयोग को भी आमंत्रित करेगी।
कोविंद की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उच्च स्तरीय समिति ने 25 अक्टूबर को अपनी दूसरी और सबसे हालिया बैठक में भारत के विधि आयोग के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद राजनीतिक दलों से टिप्पणियां मांगी हैं।
उन्होंने कहा, 'कई समितियों की रिपोर्ट आई है, जिसने उन्हें कहा है कि देश में एक देश, एक चुनाव की जो परंपरा है वो फिर लागू होनी चाहिए।'
लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करने और सिफारिशें करने के लिए क़ानून मंत्रालय द्वारा 2 सितंबर को उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसकी अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं- 23 सितंबर और 25 अक्टूबर को।
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