आरएसएस खुद को हिन्दुओं का चाहे जितना बड़ा मसीहा बताए, लेकिन धार्मिक रूप से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धार्मिक नेता माना जाता है। संघ के किसी भी नेता का आजादी की लड़ाई में योगदान नहीं मिलता है, लेकिन स्वरूपानंद सरस्वती ऐसी शख्सियत के मालिक हैं, जो दो बार जेल गए। उन्होंने सावरकर की तरह जेल से बाहर आने के लिए अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। शंकराचार्य होने के बावजूद उनके विचार हमेशा भारत की गंगा जमुनी तहजीब का समर्थन करते रहे।
अंग्रेजों से शंकराचार्य ने माफी नहीं मांगी, दो बार जेल गए
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- 29 Mar, 2025
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जीवन बहुत संघर्षशील रहा। देश की आजादी की लड़ाई के दौरान वो दो बार जेल गए। उन्होंने शंकराचार्य पद की गरिमा और रक्षा के लिए स्वामी वासुदेवानंद से अदालत में लंबी लड़ाई लड़ी और जीती। अदालत ने वासुदेवानंद के शंकराचार्य लिखने पर रोक लगा दी। लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने 2015 में उन्हीं वासुदेवानंद को राम मंदिर ट्रस्ट में रखकर उन्हें मान्यता देने की कोशिश की। जिस पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने सार्वजनिक रूप से नाखुशी जताई।
