सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि अदालत राजनीतिक दलों को वादे करने से नहीं रोक सकती। अदालत तमिलनाडु में सरकार चला रही डीएमके की ओर से राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार का वादा करने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर भी बीते कई महीनों से सुनवाई कर रही है।
क्या मुफ्त शिक्षा, पीने का मुफ्त पानी का वादा ‘फ्रीबीज’ है?: SC
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- 17 Aug, 2022
रेवड़ी कल्चर को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच चल रही बहस के बीच अदालत में भी इस मामले में सुनवाई जारी है। जानिए, अदालत ने क्या कहा।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने कहा कि लोगों की भलाई करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि जनता का पैसा सही खर्च करने का सही तरीका क्या है और यह मामला बहुत जटिल है। सवाल यह भी है कि क्या अदालत इन मुद्दों की पड़ताल करने में सक्षम है।
डीएमके ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य सरकारों द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने को फ्रीबीज यानी मुफ्त उपहार नहीं कहा जा सकता है।