एक दौर में जासूसी उपन्यास मैंने ख़ूब पढ़े। इन उपन्यासों से भी मुझे सामान्य ज्ञान के पहले सबक़ मिले। ओमप्रकाश शर्मा के उपन्यासों को पढ़कर मैंने शीत युद्ध की राजनीति का पहला व्याकरण जाना। उनके उपन्यासों में भारत और रूस के जासूस एक तरफ़ होते थे और अमेरिका, चीन-पाकिस्तान के दूसरी तरफ़। युगांडा के ईदी अमीन के बारे में मैंने ऐसे ही जासूसी उपन्यास में पढ़ा- कर्नल गद्दाफी के बारे में भी।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में जब ओमप्रकाश शर्मा और रानू पढ़ाये जाएँगे!
- साहित्य
- |
- |
- 4 Apr, 2023

गोरखपुर विश्वविद्यालय में ओमप्रकाश शर्मा, गुलशन नंदा या किसी अन्य लेखक को पढ़ाए जाने की बात से बेचैनी क्यों पैदा हो रही है? प्रेमचंद और निराला के साथ उनका ज़िक्र क्यों किया जा रहा है?
ओमप्रकाश शर्मा के अलावा कर्नल रंजीत, इब्ने सफी, वेद प्रकाश शर्मा, कुशवाहा कांत, कुमार कश्यप जैसे कई उपन्यासकार थे जो मुझे पहले जासूसी उपन्यासों का ज़ायका देते रहे। कर्नल विनोद, मेजर बलवंत, विक्रांत, राजेश, जगत और जगन वे रंग-बिरंगे हीरो थे जो जासूसी से लेकर ठगी तक देश के लिए करते थे। इसी तरह सामाजिक माने जाने वाले उपन्यासों और उनके लेखकों गुलशन नंदा, प्रेम वाजपेयी, मनोज, रानू आदि ने मुझे पठन-पाठन के दुर्व्यसन की ओर मोड़ने में अहम भूमिका निभाई।