हरिशंकर परसाई इस धरती पर 71 साल तक रहे। जब तक जिये लगातार लिखते रहे। परसाई को दुनिया छोड़े 27 साल हो गये हैं। मान लीजिये अगर परसाई होते तो क्या करते? इस तरह का सवाल आमतौर पर बड़े राजनेताओं को लेकर पूछे जाने की परंपरा रही है, मसलन आज गांधी होते तो क्या करते? ऐसे सवाल इतने उबाऊ लगते हैं कि खुद परसाई समेत तमाम बड़े व्यंग्यकार कभी ना कभी इनका मजाक उड़ा चुके हैं। जो गुजर गया तो उस पर बात करने का क्या फायदा?
हरिशंकर परसाई: ‘आवारा भीड़ के ख़तरे आज भी हैं…’
- साहित्य
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- 11 Aug, 2022

हिंदी साहित्य के व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की 10 अगस्त को पुण्यतिथि थी। जानिए, मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में जन्मे परसाई की कैसी शख्सियत थी और वह कैसे याद किए जाते रहे हैं...
लेकिन परसाई गुजरा हुआ कल नहीं हैं। वे हमारा वर्तमान भी हैं और आगे देखने का एक ज़रिया भी। बेशक परसाई नास्त्रेदामस नहीं थे। लेकिन भारतीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था पर की गई उनकी भविष्यवाणियाँ नास्त्रेदामस से भी ज़्यादा सटीक साबित होती आई हैं।
राकेश कायस्थ युवा व्यंग्यकार हैं। उनका व्यंग्य संग्रह 'कोस-कोस शब्दकोश' बहुत चर्चित रहा। वह 'प्रजातंत्र के पकौड़े' नाम से एक व्यंग्य उपन्यास भी लिख चुके हैं।