अमिताभ बच्चन ने कभी दिलीप कुमार के बारे में कहा था कि वे महान कलाकार हैं। कोई भी कलाकार जो यह कहता है कि वह उनसे प्रभावित नहीं है। झूठ बोलता है। लेकिन मेरा मानना है कि दिलीप कुमार एक अच्छे इंसान पहले हैं और कोई भी अगर उनसे मिल कर प्रभावित नहीं होता है तो वह झूठ बोलता है। उनसे मिलना, बातें करना और उन्हें सुनना अपने आप में एक अनुभव से गुजरने जैसा है। आबशारों सी गुनगुनाती उनकी बात करने की शैली किसी को भी अपने सम्मोहन में जकड़ सकती है। बीच-बीच में हौले से मुस्कुराना। फिर बुजुर्गों के अंदाज़ में किसी ख़ास बिंदू को समझाना, उनकी शख्सियत को और भी विस्तार देती है।
सांप्रदायिकता घर उजाड़ती है मजहब इंसान बनाता हैः दिलीप कुमार
- श्रद्धांजलि
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- 7 Jul, 2021

दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार का निधन हो गया। वह विभिन्न मुद्दों पर क्या विचार रखते थे उसके बारे में फजल इमाम मल्लिक ने उनके साथ फरवरी, 1993 में कोलकाता में इंटरव्यू किया था।
16 फरवरी, 1993। स्थान ताज बंगाल होटल, कोलकाता। क़रीब आठ घंटे की कोशिश के बाद उनसे मुलाक़ात हुई। 17 फ़रवरी को उन्हें कोलकाता (तब के कलकत्ता) में एक जलसे में हिस्सा लेना था। वह एक दिन पहले कोलकाता आये थे। सुबह लगभग नौ बजे फोन किया। उनके साथ आए उनके सचिव जॉन ने फोन पर बताया कि दिलीप साहब आराम कर रहे हैं। मेरा परिचय जानने के बाद उनसे यह वादा ज़रूर किया कि दिलीप साहेब से वह मेरी बातचीत ज़रूर कराएँगे। उन्होंने मेरा टेलीफोन नंबर लिया। बीच में एक-दो बार और फ़ोन किया तो जॉन का जवाब वही था कि वह आराम कर रहे हैं और आप निश्चित रहें, मैं आपकी उनसे बातचीत ज़रूर कराऊँगा। पर मुझे यक़ीन नहीं था कि मेरी उनसे मुलाक़ात होगी। लेकिन क़रीब चार बजे जॉन का फ़ोन आया। फौरन आ जाएँ। साहेब जाग गए हैं और वे आपसे बात करने के लिए तैयार हैं।