देश ने 100 करोड़ वैक्सीन का उत्सव देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश की उपलब्धि बताकर और बीजेपी ने ‘मोदी का धन्यवाद’ कहकर अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश दिखलायी है। मगर, यही उपलब्धि सरकार की पोल भी खोल रही है। वैक्सीन ले चुके लोगों का वैश्विक औसत 36.77% है, जबकि भारत में यह औसत मात्र 22.28% है। 14 फ़ीसदी से ज़्यादा का यह नकारात्मक अंतर भारत को 100 करोड़ वैक्सीन के लक्ष्य पाने पर उत्सव मनाने की इजाज़त क़तई नहीं देता।
100 करोड़ की उपलब्धि! भारत डबल डोज में वैश्विक औसत से पीछे क्यों?
- विचार
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- 23 Oct, 2021

देश में टीकाकरण अभियान का उत्सव क्यों मनाया जा रहा है? 100 करोड़ खुराक लगा देना क्या पर्याप्त है? दुनिया के औसत टीकाकरण में भारत पीछे क्यों है?
यह संतोष की बात है कि हमने 100 करोड़ वैक्सीन की डोज देने का मुकाम हासिल कर दिखाया। मगर, इस उपलब्धि तक पहुँचने से पहले हमने बहुत बुरे दिन देखे हैं। बड़ी क़ीमत देश ने चुकाई है। लाखों लोगों की मौत देश ने देखा है। गंगा लाशों को संभाल न सकी। यहाँ तक कि धरती ने भी लाशों का बोझ सहन करने से मना कर दिया। हवा ने बता दिया कि कोरोना की महामारी में भारत ऑक्सीजन तक का प्रबंधन नहीं कर पाया। बगैर योजना के लॉकडाउन, लोगों का सड़क पर अपने-अपने घरों की ओर लौटना और रास्ते में दम तोड़ना, करोड़ों लोगों की बेरोज़गारी और तमाम तरह की दिक्कतें लोगों ने झेलीं।