जम्मू-कश्मीर का विभाजन करने, उसको संघक्षेत्र यानी केंद्र शासित प्रदेश बनाने तथा अनुच्छेद 370 में दी गई व्यवस्था के तहत ही उसको कमज़ोर करने की कोशिश संविधान-सम्मत है या नहीं, इसपर दो राय हो सकती हैं और इसका अंतिम फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट ही करेगा।
द्रौपदी और कश्मीर : 'बहुमत' की मर्ज़ी के आगे दोनों लाचार
- विचार
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- 11 Dec, 2023

सदियों पहले ‘लोकतांत्रिक बहुमत’ के आधार पर ऐसा ही एक फ़ैसला हुआ था जब एक राजकुमार अपनी धनुर्विद्या के बल पर एक राजकुमारी का वरण करके आया था और बाद में माँ और बाक़ी भाइयों ने मिलकर उस राजकुमारी को सभी की अर्धांगिनी बना दिया। कश्मीर में आज सदियों पहले की वही घटना दोहराई जा रही है।
अनुच्छेद 370 को कमज़ोर करके और इसके तहत जम्मू-कश्मीर को मिली सीमित स्वायत्तता और अनुच्छेद 35ए के तहत वहाँ के ‘स्थायी निवासियों’ को मिले विशेषाधिकार समाप्त होने से राज्य और वहाँ की जनता को लाभ होगा या नुक़सान, इसपर भी दो राय हो सकती हैं और इसका भी अंतिम फ़ैसला यह देखने के बाद ही होगा कि आने वाले दिनों में कश्मीरियों के आर्थिक-सामाजिक हालात में सुधार होता है या बिगाड़।
जम्मू-कश्मीर के मामले में की गई यह केंद्रीय कार्रवाई ऐतिहासिक क़दम था या ऐतिहासिक भूल, इसपर भी दो राय हो सकती हैं और इसका भी अंतिम निर्णय अगले कुछ दिनों, महीनों और सालों में कश्मीर से आने वाली ख़बरें ही तय करेंगी।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश