दो विधानसभाओं और अन्य राज्यों में हुए उप चुनाव यक़ीनन भारतीय लोकतंत्र में प्राणवायु का काम करेंगे। इनका असर अगले साल होने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा और फिर 2024 में लोकसभा निर्वाचन पर अवश्य दिखाई देगा। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद पक्ष और प्रतिपक्ष के आकार में बड़ा फ़ासला बन गया था। इससे मुल्क़ में लोकतांत्रिक असंतुलन पैदा हो गया था। कहा जाने लगा था कि पक्ष का क़द इतना विराट हो गया है कि उसके सामने विपक्ष अत्यंत दुर्बल नज़र आने लगा है। इससे अवाम के मसलों का स्वर मद्धम पड़ने का ख़तरा मंडराने लगता है। वह संसद या विधानसभाओं में जनता का पक्ष पुरज़ोर ढंग से नहीं उठा पाता।
विपक्ष के लिए विधानसभा चुनाव नतीजे संजीवनी हैं!
- विचार
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- 29 Mar, 2025


विधानसभा चुनाव नतीजों के क्या मायने हैं? बीजेपी कुछ भी दावे करे, लेकिन विपक्षी दलों के लिए चुनाव नतीजे क्या कुछ ख़ास संदेश देते हैं?
दूसरी ओर पक्ष के व्यवहार और सोच में अधिनायकवादी मानसिकता झलकने लगती है। वह महत्वपूर्ण मसलों पर विपक्ष को भरोसे में भी नहीं लेता और न ही सदन में चर्चा ज़रूरी समझता है। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी और हिमाचल में कांग्रेस की जीत ने इस जनतांत्रिक असंतुलन को काफी हद तक संतुलित करने की संभावना जगाई है। कुछ राज्यों के उप चुनाव भी प्रतिपक्ष को ढाढस बंधाते नज़र आते हैं।




























