बजाज कंपनी के बाद पारले कंपनी की ओर से भी ज़हरीले न्यूज़ चैनलों के बहिष्कार की घोषणा को एक अप्रत्याशित और सुखद क़दम के तौर पर लिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर व्यक्त की जा रही टिप्पणियों में इसे देखा जा सकता है। हर जगह मोटे तौर पर इसका स्वागत किया गया है और यह अस्वाभाविक भी नहीं है। पिछले 5-6 साल से न्यूज़ चैनलों ने जो रूप अख़्तियार किया है, उसे लेकर समाज में पहले से ही आक्रोश पनप रहा था, मगर पिछले डेढ़ साल में यह चरम पर पहुँच गया है।