बजाज कंपनी के बाद पारले कंपनी की ओर से भी ज़हरीले न्यूज़ चैनलों के बहिष्कार की घोषणा को एक अप्रत्याशित और सुखद क़दम के तौर पर लिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर व्यक्त की जा रही टिप्पणियों में इसे देखा जा सकता है। हर जगह मोटे तौर पर इसका स्वागत किया गया है और यह अस्वाभाविक भी नहीं है। पिछले 5-6 साल से न्यूज़ चैनलों ने जो रूप अख़्तियार किया है, उसे लेकर समाज में पहले से ही आक्रोश पनप रहा था, मगर पिछले डेढ़ साल में यह चरम पर पहुँच गया है।
ज़हरीले चैनलों को बजाज के बाद पारले भी नहीं देगा विज्ञापन
- विचार
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- 29 Mar, 2025

आर्थिक चोट में बहुत ताक़त होती है। आर्थिक नुकसान की आशंका कई चैनलों को संयमित और अनुशासित करने की दिशा में प्रेरित कर सकता है। इसीलिए कॉर्पोरेट जगत की इस पहल में दम है। अभी तक कॉर्पोरेट जगत अपने स्वार्थों, अपने एजेंडे के लिए विज्ञापनों के इस हथियार का इस्तेमाल करता रहा है। सरकार की आर्थिक नीतियों में अपेक्षित बदलाव लाने के मक़सद से वह मीडिया के ज़रिए दबाव बनाता रहा है।