पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था की चर्चा अब कोई नहीं करता। पर कोरोना और लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था में गिरावट की जो चर्चा होती थी वह भी नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) के नए आंकड़े आने के बाद और तेज हो गई है। तब जीडीपी की गिरावट को ज्यादा से ज्यादा दस फीसदी तक माना जाता था। अब जब सरकारी आंकड़े के अनुसार पहली तिमाही में गिरावट लगभग चौबीस फीसदी है तो बाकी अनुमान तेजी से बदल रहे हैं।
अर्थव्यवस्था का गहराता आफतकाल
- विचार
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- 13 Sep, 2020


जहां अमेरिका ने अपनी जीडीपी का 20 फीसदी राहत पैकेज घोषित किया वहीं, अपने यहां लगभग डेढ़ फीसदी की घोषणा भर हुई और उसमें से भी लघु और सूक्ष्म उद्यमों को कुछ सीधा लाभ हो सकता था पर सब के लिए यह बीस-इक्कीस लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज झुनझुना बनकर ही रह गया है। अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्र (खासकर होटल, पर्यटन, विमानन, बैंकिंग) रो ही रहा है।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फिच का नया अनुमान 10.5 फीसदी गिरावट (उसका जून का अनुमान 5 फीसदी का ही था) का है जबकि गोल्डमैन सैक्स का अनुमान तो 14.9 फीसदी पर पहुंच गया है। एक ही दिन में आई तीसरी रिपोर्ट इंडिया रेटिंग्स की है जो 11.8 फीसदी गिरावट की भविष्यवाणी करती है।
























