हम भारतीय बड़े ख़ुशक़िस्मत हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ कि मैं कोई मोदी का भक्त हूँ। मैं इसलिए कह रहा हूँ कि मोदी जी ग़रीबी में पले और बड़े हुए हैं, इसलिए कि वह कभी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे, इसलिए कि वह प्रधानमंत्री बनने के पहले अपने दोस्त डोनाल्ड ट्रंप की तरह अरबपति नहीं थे। मैं उनका दुश्मन नहीं हूँ। मैं उनका आलोचक हूँ। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि ग़रीबी में पला-बढ़ा आदमी ही इंसानी ज़िंदगी की दुश्वारियों को समझता है, इसलिए कि वह जानता है कि इंसानी ज़िंदगी की क़ीमत क्या होती है, इसलिए कि वह फ़ैसले करने के पहले यह नहीं सोचता कि उसे कितने करोड़ों रुपये या डॉलर का नुक़सान होगा।