राष्ट्रविरोधी और राजद्रोह शब्द आजकल गाजर-मूली की तरह इस्तेमाल हो रहे हैं और राजनीतिक कारणों से कोई भी किसी को ऐसे आरोपों में फँसा सकता है।
क्या होता है राजद्रोह, क्या कहते हैं सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले?
- विचार
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- 14 Jun, 2020

सुप्रीम कोर्ट अपने दो फ़ैसलों में स्पष्ट कह चुका है कि जब तक कोई हिंसा न करे, तब तक उसके ख़िलाफ़ राजद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता। साथ ही यह भी कहा है कि नारे लगाने से राजद्रोह नहीं होता। वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ पर आरोप लगने से यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में हैं।
यह बात हम नहीं कह रहे। यह बात गत सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने कही है और उनकी बात को सच साबित करते हुए, एक तरह से सुप्रीम कोर्ट को मुँह चिढ़ाते हुए, मुंबई पुलिस ने सोमवार को एक जुलूस में भाग ले रहे 51 लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगा दिया। उनका अपराध यह था कि उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे शरजील इमाम के पक्ष में नारे लगाए थे।
शरजील इमाम पर देश के कई राज्यों में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है और यह तो वक़्त ही बताएगा कि यह आरोप उनपर साबित होता है या नहीं। लेकिन जिन लोगों ने उनके पक्ष में नारे लगाए थे, उनके ख़िलाफ़ तो राजद्रोह का मामला बनता ही नहीं है।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश