कुछ लोगों को ऐसा क्यों महसूस हो रहा है कि देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है और इस बार क़ैद में कोई विपक्ष नहीं बल्कि पूरी आबादी है? घोषित तौर पर तो ऐसा कुछ भी नहीं है। न हो ही सकता है। उसका एक बड़ा कारण यह है कि पैंतालीस साल पहले 25 जून 1975 को जो कुछ हुआ था उसका विरोध करने वाले जो लोग तब विपक्ष में थे उनमें अधिकांश इस समय सत्ता में हैं। वे निश्चित ही ऐसा कुछ नहीं करना चाहेंगे। हालाँकि इस समय विपक्ष के नाम पर देश में केवल एक परिवार ही है। इसके बावजूद आपातकाल जैसा क्यों महसूस होना चाहिए! कई बार कुछ ज़्यादा संवेदनशील शरीरों को अचानक से लगने लगता है कि उन्हें बुखार है। घरवाले समझाते हैं कि हाथ तो ठंडे हैं फिर भी यक़ीन नहीं होता। थर्मामीटर लगाकर बार-बार देखते रहते हैं। आपातकाल को लेकर इस समय कुछ वैसी ही स्थिति है।
बुखार और आपातकाल सूचना देकर नहीं आते, लक्षणों से ही समझना पड़ेगा
- विचार
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- 25 Jun, 2021

डर इस बात का ज़्यादा है कि सही में तेज़ बुखार होने पर भी हम कहीं बर्फ़ की पट्टियाँ रख-रखकर ही उसे दबाने में नहीं जुट जाएँ। जब बहुत सारे लोग ऐसा करने लगेंगे तब मान लेना पड़ेगा कि आपातकाल तो पहले से ही लगा हुआ था। बुखार और आपातकाल दोनों ही सूचना देकर नहीं आते। लक्षणों से ही समझना पड़ता है। वैसे भी अब किसी आपातकाल की औपचारिक घोषणा नहीं होने वाली है।