चर्चा हिन्दू और हिन्दुत्व की हो रही है। एक ऐसे पहचान से जोड़ने और जुड़ने की हो रही है जिनसे जुड़े रहकर भी अनुसूचित जाति समुदाय का कभी भला नहीं हुआ। यही हाल आदिवासियों का है। अंग्रेजों ने इन समूहों को वर्ग के रूप में चिन्हित नहीं किया होता तो क्या कभी इस वर्ग से जुड़े लोग इंसान भी समझे जाते? यह चिंता भी है और सवाल भी, उन लोगों से जो आज दावा कर रहे हैं कि 40 हजार साल से हिन्दुओं का डीएनए एक है।