भारत में ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ की हालिया उठापटक, जाति को ख़त्म करने और अधिक समानमूलक समाज लाने के आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। यह झटका एक दुर्घटना नहीं है: हिंदू राष्ट्रवाद के बढ़ते क़दम को लोकतंत्र की समतावादी माँगों के ख़िलाफ़ उच्च जातियों के विद्रोह के रूप में देखा जा सकता है।