आख़िर मोदी सरकार ने अपना इरादा साफ़ कर दिया है कि वह सोशल और डिजिटल मीडिया पर नकेल कस कर ही रहेगी। वैसे अगर मान भी लें कि सरकार का कोई इरादा डिजिटल मीडिया पर दबाव डालने और अंकुश लगाने का नहीं है, तब भी अगर डिजिटल मीडिया के लिए लाई गई गाइडलाइन और इसके प्रावधान लागू हो गये तो डिजिटल दुनिया में जो वैकल्पिक और स्वतंत्र मीडिया उभर रहा था, उसकी सारी सम्भावनाएँ धूमिल हो जाएँगी। कारण यह है कि सरकार ने डिजिटल मीडिया पर लगाम लगाने की हड़बड़ी में डिजिटल मीडिया के व्यावहारिक पक्षों, उसके अति सीमित संसाधनों पर कोई ध्यान ही नहीं दिया।