रजनीकांत का चुनावी राजनीति में न आने का फैसला क्या समचमुच भगवान का संदेश है या वे राजनीति में न आने का बहाना तलाश रहे थे। इस सवाल के पीछे कई कारण हैं। पहला और तात्कालिक कारण तो यह है कि रजनीकांत सत्तर की उम्र पार कर चुके हैं। उनका स्वास्थ्य उन्हें बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम की इजाजत नहीं देता। बताते हैं कि उनकी बेटी इस पक्ष में नहीं थी कि वे राजनीतिक दल बनाएं। उसका एकमात्र कारण उनके स्वास्थ्य की चिंता ही थी।
रजनीकांत का राजनीति में न आना ‘भगवान का संकेत’ या कुछ और?
- राजनीति
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- 30 Dec, 2020

एमजीआर, जयललिता और करुणानिधि के अलावा भी कई तमिल फिल्म अभिनेता राजनीति में आए। विजयकांत ने अपनी पार्टी डीएमडीके बनाई और 2006 के विधानसभा चुनाव में आठ फीसदी वोट पाने में सफल रहे। पर बाद के चुनावों में वे इसे बरकरार नहीं रख सके। इसी तरह सरथ कुमार, राजेन्दर, भाग्यराज और कमल हासन से भी चुनावी कामयाबी दूर ही रही। इसलिए सफल फिल्म अभिनेता सफल राजनीतिज्ञ भी बन सकता है यह तमिलनाडु की राजनीति में भी मिथक ही है।
पिछले दिनों जब रजनीकांत ने नये साल में राजनीतिक दल बनाने का इरादा जाहिर किया, उस समय भी उन्हें इन बातों की जानकारी थी। केवल ब्लड प्रेशर असामान्य हो जाने या फिल्म यूनिट के चार सदस्यों के कोरोना पॉजिटिव होने से परिस्थिति में ऐसा कोई बड़ा बदलाव नहीं आ गया था। फिर आखिर क्या हुआ।
प्रदीप सिंह देश के जाने माने पत्रकार हैं। राजनीतिक रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है। आरएसएस और बीजेपी पर काफी बारीक समझ रखते हैं।