“हम यह कहना चाहते हैं कि युद्ध छिड़ा हुआ है और यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी जब तक कि शक्तिशाली व्यक्तियों ने भारतीय जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर अपना एकाधिकार कर रखा है- चाहे ऐसे व्यक्ति अंग्रेज पूँजीपति और अंग्रेज या सर्वथा भारतीय ही हों, उन्होंने आपस में मिलकर एक लूट जारी कर रखी है।”
शहादत दिवस : भगत सिंह को ‘भारत-रत्न’ देने की माँग बेमानी है!
- विचार
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- 23 Mar, 2020

बीजेपी के सावरकर को ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा के बाद कांग्रेस की ओर से शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को ‘भारत रत्न’ देने की माँग की गई है। लेकिन क्या कांग्रेस भगत सिंह के मज़दूरों के राज या साम्यवादी क्रांति के लक्ष्य का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस में यह हिम्मत है कि वह भगत सिंह के विचारों का प्रचार जनता के बीच कर सकती है? भगत सिंह की कांति के सामने भारत-रत्न फ़ीका है। भगत सिंह के शहादत दिवस पर सत्य हिन्दी की ख़ास पेशकश।
यह भगत सिंह का बयान है। फाँसी पर लटकाए जाने से तीन दिन पहले 20 मार्च, 1931 को उन्होंने पंजाब के गवर्नर को पत्र लिखकर ख़ुद को युद्धबंदी बताते हुए फाँसी नहीं गोली से उड़ाने की माँग की थी। इस पत्र पर भगत सिंह के साथ-साथ सुखदेव और राजगुरु के भी हस्ताक्षर थे। यह पत्र इन क्रांतिकारियों के उद्देश्यों की स्पष्ट झलक देता है। इसी पत्र में उन्होंने लिखा था -