जिस फ़ेसबुक पर नफ़रत फैलाने वाला, भड़काऊ और विभाजनकारी सामग्री को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं उसके बारे में एक और चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। नये दस्तावेजों में यह सामने आया है कि जब फ़ेसबुक पर ऐसी नफ़रत वाली सामग्री बढ़ रही थी तो वह ऐसी सामग्री को रोकने के लिए होने वाले ख़र्च में कटौती कर रहा था। फ़ेसबुक के ही दस्तावेजों के आधार पर उठाए गए इन सवालों के जवाब में कंपनी ने कहा है कि उसने नफ़रत वाली सामग्री को रोकने के लिए और ज़्यादा क़दम उठाए हैं और ऐसी तकनीक को भी बढ़ावा दिया है जिससे नफ़रत बढ़ाने वाली सामग्री को अंदरूनी सिस्टम भी खुद ही तुरत हटा दे।
नफ़रती सामग्री बढ़ती गई और फ़ेसबुक इसे रोकने पर ख़र्च में कटौती करता गया!
- सोशल मीडिया
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- 29 Mar, 2025
फ़ेसबुक पर नफ़रत फैलाने वाली सामग्री को रोकने में विफल रहने का आरोप क्यों लगते रहा है? अब रिपोर्ट आई है कि फ़ेसबुक ने नफ़रत वाली सामग्री की समीक्षा करने वाले खर्च में कटौती की योजना बनाई थी।

फ़ेसबुक की प्रतिक्रिया से लगता है कि इसने नफ़रत वाली और विवादास्पद सामग्री पर कार्रवाई के लिए तकनीक पर ज़्यादा भरोसा जताया। लेकिन ह्विसल ब्लोअर बन चुके इसी कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने कई रिपोर्टों में यह दावा किया है कि फ़ेसबुक का एल्गोरिदम यानी अंदरूनी सिस्टम उन पोस्टों को आगे बढ़ाता है जो नफ़रत फैलाने वाले हैं। यानी आप क्या देखना चाहते हैं या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता है और फ़ेसबुक का आंतरिक सिस्टम आपको नफ़रत व भड़काऊ सामग्री परोसना शुरू कर देता है।