धारा 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर के हालात कितने बदले हैं, वहाँ के अवाम क्या सोच रहे हैं, वे नाउम्मीद हैं या उन्हें इसे अँधेरे में उम्मीद की कोई रौशनी दिखलाई दे रही है। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की श्रीनगर स्थित वरिष्ठ पत्रकार हारुन रेशी से बेबाक बातचीत।
जम्मू-कश्मीर में पिछले साल 5 अगस्त से नज़रबंद या गिरफ़्तार किए गए लोगों को उस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से कितनी राहत मिली है जिससे संविधान हर नागरिक को अनियंत्रित राज्य सत्ता से सुरक्षा देता है?
उमर अब्दुल्ला नाराज़ हैं। भारत के विपक्ष से, संसद से और अपने आप से। अपने साथ किए गए धोखे से वह नाराज़ हैं। वह क्षुब्ध हैं कि जम्मू और कश्मीर की रही-सही स्वायत्तता का अपहरण कर लिया गया और उसके दो टुकड़े कर दिए गए।
उमर गुस्से में हैं, निराश हैं, उन्हें देश के राजनीतिक दलों से शिकायतें हैं, वे चुनाव न लड़ने की बात कर रहे हैं। लेकिन बहुत सारे लोगों को लग रहा है कि केंद्र सरकार के साथ उन्होंने कोई डील कर ली है इसलिए धारा 370 के मामले में वे खामोश हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद उमर अब्दुल्ला देश के दूसरे हिस्सों में राजनीतिक दलों और नेताओं के रवैये से नाराज़ हैं। आख़िर उमर इनसे किस बात को लेकर नाराज़ हैं और उन्हें यह बात इतनी ज़्यादा क्यों कचोट रही है?
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- जब तक जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है तब तक मैं विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ूँगा। मैं भारत भूमि में सबसे ज़्यादा ताक़तवर विधानसभा का सदस्य रहा।
इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी का कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के सवाल पर कड़ा रुख़ अख़्तियार करना पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कामयाबी है। लेकिन इससे मोदी सरकार के लिए नई मुसीबतें खड़ी हो गई हैं। दस महीने बाद ओआईसी ने ऐसा क्यों किया और सरकार इनसे निपटने के लिए क्या कर सकती है, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की हिरासत तीन महीने के लिए बढ़ा दी है। इनके साथ कई और नेताओं की हिरासत भी तीन महीने के लिए बढ़ाई गई है। वह पिछले नौ महीने से ज़्यादा समय से हिरासत में हैं।
अनुच्छेद 370 में बदलाव करने के 7 महीने बाद अब जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोशल मीडिया से पाबंदी हटा ली है। हालाँकि लोगों को इंटरनेट की स्पीड 2जी की ही मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 में बदलाव कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने के मामले को अब बड़ी बेंच के पास नहीं भेजेगा। इस बदलाव को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एनवी रमन के नेतृत्व में पाँच जजों की बेंच ने यह फ़ैसला दिया।