कांग्रेस ने प्रियंका को वाराणसी में क्यों नहीं उतारा मोदी के ख़िलाफ़? क्या नरेंद्र मोदी से डर गईं प्रियंका गाँधी? देखिए क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शैलेश।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। अगले दो-तीन दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। तो क्या कांग्रेस डर गई?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रण निपटने के बाद अब बाक़ी उत्तर प्रदेश में मज़बूत कंधे तलाश रही कांग्रेस की तैयारी बड़ी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की है। कुछ बड़े पिछड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की योजना है।
गठबंधन ने अब ख़ुद को सफलतापूर्वक बीजेपी के मुक़ाबले में आमने-सामने खड़ा कर लिया है और कांग्रेस उन मतदाताओं में औचित्यहीन हो गई है जो बीजेपी के ख़िलाफ़ मत देना चाहते हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी लगातार उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर जनता से संवाद कर रही हैं। पार्टी को मजबूत करने के लिए वह ताबड़तोड़ दौरे करने में जुटी हैं।
प्रियंका गाँधी देशभर के हज़ारों कार्यकर्ताओं से फ़ोन पर बात करके उन्हें ज़रूरी हिदायतें देंगी और कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए कोशिश करने की नसीहत भी देंगी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के दो सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ने पर एक अहम सवाल यह है कि अगर राहुल गाँधी दोनों सीटों से जीत जाते हैं तो अगली लोकसभा में वह किस सीट का प्रतिनिधित्व करेंगे और किस सीट से इस्तीफ़ा देंगे?
प्रियंका गाँधी 3 अप्रैल से बुंदेलखंड का अपना दौरा शुरू करेंगी। कांग्रेस महासचिव 3 अप्रैल को जालौन, 4 को महोबा, हमीरपुर और 5 अप्रैल को बांदा-चित्रकूट में रहेंगी।
प्रियंका अयोध्या के रोड शो में बीजेपी को उसी के हिंंदुत्व कार्ड से हमला बोलने की तैयारी में थीं पर कुछ संतों ने उनके मंदिरों के दर्शन पर सवाल खड़ा कर दिया।
रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जब कहा कि आप रायबरेली से चुनाव लड़ें तो इसके जवाब में प्रियंका गाँधी ने कहा कि अगर वे बनारस से चुनाव लड़ती हैं तो कैसा रहेगा? कहीं वह मोदी के ख़िलाफ़ तो नहीं उतरेंगी? देखिये वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और शैलेष की चर्चा।