राम मंदिर निर्माण के मसले पर संघ, बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं लगते हैं। राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए देश में चंदा उगाही के कार्यक्रम के दौरान जिस तरह की घटनायें हुईं, वे क्या दर्शाती हैं?
प्रधानमंत्री भले ही यह कहें कि 'भारत की सीमा में न कोई घुसा न ही भारत की ज़मीन पर कोई घुस कर बैठा है', राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ज़ोर देकर कहा कि चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति की वजह से भारतीय सीमा में भी घुसपैठ की है।
गांधी के अनुयायियों ने उन्हें अलौकिक और देवदूत के रूप में प्रचारित किया था। गांधी जी को महात्मा और संत जैसी उपाधियाँ दी गयीं। इसका व्यापक प्रभाव भी हुआ।
काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को अयोध्या के राम मुद्दे की तरह गरम करने और इस पर आन्दोलन चलाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पशोपेश में है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र 'पांचजन्य' में लेख लिख कर यह सवाल उठाया गया है कि आख़िर आमिर चीन में इतने लोकप्रिय क्यों हैं, उनकी फ़िल्में वहां इतना अच्छा व्यवसाय कैसे कर लेती है।
आपातकाल में आरएसएस की भूमिका नहीं थी तो आरएसएस ने क्यों कहा था कि उसका जेपी आंदोलन से कोई लेना देना नहीं? देवरस ने क्यों इंदिरा गाँधी आपातकाल की तारीफ की थी?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने आरोग्य ऐप का यह कह कर विरोध किया है कि इससे विदेशी कंपनियों को मदद मिलती है और यह ग़ैरक़ानूनी है।
बीजेपी विधायक सुरेश तिवारी ने कहा है कि मुसलमानों से सब्जी न खरीदें। मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की क्या वजह है? क्या है पूरा मामला? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुर बदले हुए क्यों हैं? वे क्यों मुसलमानों के प्रति नरम दिखने की कोशिश कर रहे हैं? क्या है मामला? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
सरकारी विश्वविद्यालय बीएचयू के परिसर में आरएसएस का झंडा हटाने की वजह से एक अफ़सर को इस्तीफ़ा देने को बाध्य कर दिया गया। उसके ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज कर दिया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनता पार्टी के लिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण असली मुद्दा नहीं था, असली मुद्दा था, इसी बहाने केंद्र की सत्ता पर कब्जा करना।
‘राष्ट्रवाद’ और 'हिटलर के राष्ट्रवाद' के शोर के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इस पर प्रतिक्रिया आयी है। उन्होंने कहा है कि भारत का ‘राष्ट्रवाद’ हिटलर के ‘राष्ट्रवाद’ से अलग है।