मोदी के झूठ और हेट स्पीच पर नीतीश को सांप क्यों सूंघ गया है? उनकी ये चुप्पी NDA और जेडीयू के प्रदर्शन पर कितनी भारी पड़ेगी? वरिष्ठ पत्रकार समी अहमद की रिपोर्ट
अब नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों को ‘ज़्यादा बच्चा पैदा करने वाले’ कहा है, उसके बारे में नीतीश कुमार की क्या राय होगी? क्या मुसलमान अपने बारे में ऐसे जहरीले बयान सुनकर भी नीतीश कुमार के कहने पर एनडीए को वोट देंगे?
नीतीश कुमार को क्यों लग रहा है कि इस बार मुस्लिम मतदाता उन्हें वोट नहीं देंगे? वे क्यों 2005 के पहले के शासन की याद दिला रहे हैं? क्या उनका बीजेपीपरस्त रवैया उनके लिए मुसीबत बन गया है? वरिष्ठ पत्रकार समी अहमद की रिपोर्ट-
इस बार जब नीतीश कुमार ने एक बार फिर बीजेपी से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया तो कई लोगों का कहना है कि वह 2005 के जैसे मुख्यमंत्री नहीं रहे। तो क्या मुस्लिमों में इसको लेकर हिचकिचाहट है?
चुनाव के पहले चरण में एनडीए की चार की चारों सीटें दाँव पर हैं मगर क्या वह इन्हें बचा पाएगी? महागठबंधन की चुनौती कितनी मज़बूत है? क्या वह इनमें से कुछ सीटें छीन सकता है?
विपक्षी दलों की एकजुटता के बीच बीजेपी भी कई दलों को एनडीए में शामिल कर रही है। बिहार में भी इसने कई दलों को शामिल किया है, लेकिन वह सीटों का बँटवारा कैसे करेगी?
बिहार में सभी राजनीतिक दलों के नेता बागेश्वर धाम के बाबा के सामने नतमस्तक हो गए हैं। धीरेंद्र शास्त्री नामक यह बाबा इस समय बिहार में हैं और बीजेपी के तमाम नेता इनके सहारे धार्मिक कार्ड खेलने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
नीतीश कुमार सरकार के आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े एक फ़ैसले ने बीजेपी के लिए बिहार में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं? जानिए, आख़िर क्यों बीजेपी असमंजस में है कि वह उस फ़ैसले का समर्थन करे या विरोध।
बिहार की राजनीति में क्या बड़ा बदलाव होने वाला है? आरएलजेडी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात की है। जानिए आख़िर इसके क्या मायने हैं।
रामनवमी पर बिहार में हुई हिंसा कई मायने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति को प्रभावित करेगी। अगर वो इसे संभाल नहीं पाए तो इसका नुकसान उन्हें जरूर होगा। यह चिन्ताजनक है कि बिहार में जहां-जहां दंगे हुए, वहां पुलिस ने कार्रवाई करने में निष्क्रियता बरती।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने रावण को राम से ज्यादा काबिल बताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। राम चरित मानस पर राज्य के कुछ मंत्रियों की विवादित टिप्पणी से उठा विवाद धीरे-धीरे ठंडा हो रहा था लेकिन मांझी ने अब और घी डालकर आग को भड़का दिया।
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरें बिहार के अखबारों ने उछाली। जिम्मेदार संपादकों ने मात्र एक वीडियो के आधार पर सारी फेक न्यूज परोस दी। बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। लेकिन जब सच सामने आया तो बीजेपी अब बैकफुट पर है।
एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आने वाले नीतीश कुमार आजादी की लड़ाई में संघ की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। क्या वह इस सवाल को घरों और गांवों तक ले जा पाएंगे?