सोशल मीडिया के इस दौर में बहुत सारे लोगों की प्रोफाइल में ‘कट्टर देशभक्त’, ‘राष्ट्रहित सर्वोपरि’, ‘राष्ट्रवाद’ और ‘सच्चा देशभक्त’ जैसी स्वघोषित उपाधियाँ देखने को मिल जाती हैं। क्या लोग जानते हैं कि देश क्या होता है? और देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या होता है? सामाजिक विज्ञान की किताबों से इतर यह समझना जरूरी है कि एक भूभाग का देश के रूप में स्थापित होना और निरंतर बने रहने के लिए इसकी ‘अखंडता’ सबसे जरूरी शर्त है। नागरिकों से भरे इस विस्तृत भूभाग में अखंडता तब तक बनी रहती है जबतक विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध बने रहते हैं। ऐसे संबंधों के लिए ज़रूरी है एक न्यायप्रिय कानून व्यवस्था, समान अवसर और दार्शनिक रूसो की मानें तो ‘सामाजिक अनुबंध’। इनकी अनुपस्थिति में देश का बने रहना और बचे रहना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जाता है।
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ, इसमें 26 लोगों की मौत हो गई। यह कोई छिपी बात नहीं कि इस हमले के तार भारत के पड़ोसी और जर्जर हो चुके देश पाकिस्तान से जुड़े हैं। हमले के बाद हमेशा की तरह भारत के विपक्ष ने सरकार के साथ खड़े रहने का फैसला किया। कश्मीर समेत पूरे देश के लोगों ने, चाहे वो जिस भी समुदाय से ताल्लुक़ रखते हों, कायराना हमले की निंदा की और सरकार के साथ खड़े रहने का फ़ैसला किया। प्रधानमंत्री ने भी सभी 140 करोड़ देशवासियों को संबोधित किया जिससे भारतीय पहचान को प्राथमिकता दी जा सके ना कि किसी धर्म या जाति की। यह अलग बात है कि मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जबतक सभी 140 करोड़ लोग ‘देशभक्त’ नहीं हो जाते तब तक ऐसे हमले नहीं रुकेंगे। शोक के माहौल में जहाँ प्रधानमंत्री एकता की बात दोहरा रहे थे वहीं इसी माहौल में उनके मंत्री भारत की एकता में ‘संदेह’ की बात कर रहे थे।