अमेरिकी अख़बार द वाल स्ट्रीट जर्नल की सोशल मीडिया कंपनी फ़ेसबुक से जुड़ी रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। अख़बार के मुताबिक़ फ़ेसबुक बीजेपी नेताओं की नफ़रत और हिंसा भरी पोस्ट को इसलिए नहीं हटा रहा है क्योंकि उससे उसके धंधे पर फ़र्क पड़ सकता है।
भारत ही नहीं, विदेशों में भी फ़ेसबुक पर ज़हरीली पोस्ट सवालों के घेरे में
- दुनिया
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- 18 Aug, 2020

सोशल मीडिया कंपनियाँ अपने क़ारोबार के बारे में ज़्यादा सोच रही हैं। वे जानती हैं कि उनके प्लेटफ़ॉर्म अधिक लोकप्रिय इसलिए हो रहे हैं क्योंकि वहाँ लोगों को अपनी घृणा का ज़हर उगलने का मौक़ा मिल रहा है। अगर इस पर अंकुश लग गया तो इसका असर धंधे पर पड़ेगा। मोदी सरकार को इस मामले में छूट देने का मतलब ही यही है कि उनके लिए धंधा सबसे ऊपर है।
ज़ाहिर है कि यह बहुत ही विस्फोटक रहस्योद्घाटन है और इस पर राजनीतिक दलों और फ़ेसबुक यूज़र्स का उबलना स्वाभाविक है। इसीलिए कांग्रेस ने इसकी संसदीय समिति से जाँच करवाने की माँग कर डाली है और संसद की स्थायी समिति ने भी एलान कर दिया है कि वह इस रिपोर्ट की तह में जाएगी। उसने फ़ेसबुक के अधिकारियों को तलब करने का फ़ैसला भी किया है।