दिल्ली की सात लोकसभा सीटों की तसवीर साफ़ हो चुकी है। कांग्रेस के साथ समझौते की आस के बावजूद आम आदमी पार्टी ने अपने सातों उम्मीदवारों की घोषणा दूसरी पार्टियों से काफ़ी पहले कर दी थी। मोदी-शाह की जोड़ी का डर दिखाकर आम आदमी पार्टी अपना उल्लू सीधा करना चाहती थी, लेकिन इस चक्कर में कांग्रेस उल्लू नहीं बनी। एक तरफ़ वह समझौते की बात कर रही थी तो दूसरी तरफ़ उसके उम्मीदवार प्रचार में जुटे हुए थे। यह बात और है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस को जो सीटें सौंपने के लिए तैयार थी, वहाँ प्रचार अनमने ढंग से ही चल रहा था। मगर, अब यह साफ़ हो गया है कि दिल्ली की सातों सीटों पर तिकोना मुक़ाबला होने जा रहा है। ठीक उसी तरह जैसे 2014 में सातों सीटों पर तिकोना मुक़ाबला हुआ था। हालाँकि आम आदमी पार्टी यह दावा करती रही है कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होगा लेकिन कांग्रेस ने अपने दिग्गज उम्मीदवार उतारकर मुक़ाबले को दिलचस्प ज़रूर बना दिया है।
दिल्ली की 7 सीटों पर वोट बँटवारे से बीजेपी को कितना फ़ायदा?
- दिल्ली
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- 1 May, 2019


दिल्ली की सात लोकसभा सीटों की तसवीर साफ़ हो चुकी है। कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का समझौता नहीं हो पाया। इसका फ़ायदा बीजेपी को मिलेगा भी या नहीं?


























