एक तरफ़ तालिबान को पटाने के लिए अमेरिका इमरान ख़ान को फुसलाने की कोशिश कर रहा है और दूसरी तरफ़ तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार अमरुल्लाह सालेह पर हमला बोल दिया है। सालेह राष्ट्रपति हामिद करजई के दौर में अफ़ग़ानिस्तान के गुप्तचर विभाग के मुखिया थे। कुछ वर्षों पहले वह काबुल होटल में मुझसे मिलने आए थे और मैंने उनका रवैया भारत के बारे में काफ़ी मित्रतापूर्ण पाया था। यह अच्छा हुआ कि उनकी जान बच गई। वह घायल हुए और उनके 20 साथी मारे गए।
अफ़ग़ानिस्तान को अराजकता की भट्टी में क्यों झोंक रहा अमेरिका?
- दुनिया
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 - 7 Aug, 2019

 

ज़्यादातर तालिबान लोग गिलजई पठान हैं। उनके सत्तारूढ़ होने पर उनकी स्वायत्तता पाकिस्तान पर बहुत भारी पड़ सकती है। वे स्वतंत्र पख्तूनिस्तान की माँग भी कर सकते हैं। इसके अलावा तालिबान के लौटने की ज़रा भी संभावना बनी नहीं कि काबुल, कंधार, हेरात, मज़ारे-शरीफ़ जैसे शहर खाली हो जाएँगे। अमेरिका अपना पिंड छुड़ाने के लिए अफ़ग़ानिस्तान को अराजकता की भट्टी में झोंकने पर उतावला हो रहा है।























